छठ पर्व : सूर्य ने की थी लोक मातृका की पहली पूजा
छठ पूजा चार दिनों का अत्यंत कठिन और महत्वपूर्ण महापर्व है। इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होती है और समापन सप्तमी को। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है।
महापर्व के मुहूर्त दिन
पहला दिन (चतुर्थी) – 4 नवंबर (नहाय-खाय)
दूसरा दिन (पंचमी) – 5 नवंबर (खरना)
तीसरा दिन (षष्ठी) – 6 नवंबर (संध्या अर्घ)
चौथा दिन (सप्तमी) – 7 नवंबर (उषा अर्घ)
छठ पूजा चार दिनों का अत्यंत कठिन और महत्वपूर्ण महापर्व है। इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होती है और समापन सप्तमी को। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है।
इस व्रत की सबसे कठिन और महत्वपूर्ण रात्रि कार्तिक शुक्ल षष्ठी (6 नवंबर) की होती है। इसी कारण इस व्रत का नामकरण ‘छठ’व्रत हो गया है। पारिवारिक सुख-समृद्धि तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह महापर्व स्त्री-पुरुष (दोनों) द्वारा मनाने की परंपरा है। लोक परंपरा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का संबंध भाई-बहन का है। लोक मातृका की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी। भैया दूज के तीसरे दिन से ‘छठ पर्व’ शुरू हो जाती है।
-सत्यव्रत बेंजवाल


